गुरु ग्रंथ साहिब भारतीय संस्कति का गौरव ग्रंथ है । इस में मध्ययुग के हर उस निर्गुणवादी धर्मसाधक की वाणी को बिना किसी भेद-भाव के संकलित किया गया है जो सांसारिकता में ग्रस्त मनुष्य को मंगलकारी संदेश दे कर परमानंद की प्राप्ति के लिए प्रेरण दे सके । यह एक एसा प्रामाणिक धर्मग्रंथ है जिस में संकलित वाणी को रचयिता गुरुओं ने स्वयं संभाल कर रखा और भक्त-साधकों की वाणी भी उन के मूल स्रोतों से प्राप्त की । अत इस में संकलित वाणी क्षेपकों और शंकाओं से मुक्त है । इस में संकलित विचारधाराओं और मान्यताओं का इस के संपादन-काल में ही महत्व नहीं था अपितु उन की प्रासंगिकता अब भी यथावत बनी हुर्इ है और भविष्य में भी बनी रहेगी । यह केवल भारतीय साहित्य का ही नहीं, विश्व साहित्य का भी श्रेषठ धर्म-ग्रंथ है ।