श्री गुरु ग्रंथ साहिब के शाश्वत महत्व वाले सर्वधर्म समभाव के सिद्धान्तों और मूल्यों को ध्यान में रखकर भारतीय धर्मों के इतिहास की विशिष्ट उपलब्धि श्री गुरु ग्रंथ साहिब का देवनागरी लिपि में मूलपाठ सहित सरल सुबोध एवं साहित्यक हिन्दी में किया हुआ यह पहला अनूठा अनुवाद कार्य है । इस अनुवाद कार्य में श्री गुरु ग्रंथ साहिब के मूलपाठ का पृष्ट-क्रम शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी अमृतसर द्वारा प्रकाशित श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पृष्ट-क्रम के अनुरुप है और इसकी प्रमुख विशेषता यह कि हर सैंची (जिल्द) में आर्इ प्रमुख वाणी की विस्तृत जानकारी अन्त में परिशिष्ट रुप में दी गर्इ है । सिक्ख धर्म-दर्शन के प्रख्यात विद्वान डाँ जोध सिंह इस अनुवाद से पहले लगभग इक दर्जन अंग्रेजी, हिन्दी और पंजाबी पुस्तकों के अलावा श्री दसम ग्रंथ और वारां भार्इ गुरदास का हिन्दी, अंग्रेजी अनुवाद सुधी पाठकों तक पहुँचा चुके हैं जिनकी हिन्दी जगत् ने भरपूर रुप से सराहना की है । इस अनुवाद कार्य को अधिक लाभदायक बनाने के लिए जहां सिक्ख धर्म और जीवन-शैली से संबंधित शब्दावली सूची रुप में देकर उसका अर्थ दिया गया है वहीं सिक्ख धर्म-दर्शन, व्यावहारिक सिद्धान्तों, सिक्ख इतिहास और श्री गुरु ग्रंथ साहिब के अन्तरक्रम को समझने के लिए अस्सी से अधिक पृष्ठों की भूमिका भी दी गर्इ है जो श्री गुरु ग्रंथ साहिब के सर्वथा नवीन जीवन दर्शन को समझने में विशेष रुप से सहायता है । निशिचत रुप से यह अनुवाद कार्य सिक्ख धर्म पर शोध कार्य करने वालों, धर्म की जीवन के व्यवहार में सार्थकता को समझने की इच्छा रखने वालों तथा सामान्य जिज्ञासुओं के लिए समान रुप से उपयोगी है ।