इस पुस्तक में झानी संत सिंघ मसकीन जी की लिखी हुई पंजाबी की पुस्तक का हिन्दी में अनुवाद किया गया है। इस में जिन शब्द का हिन्दी में अनुवाद संभव था वह किया गया है, अन्यथा उनका पंजाबी भाषा के अर्थ में ही लिखा गया है। पाठकों से निवेदन है कि पुस्तक को ध्यान से पढ़ें और अमूल्य वचनों को अपने निजी जीवन में ग्रहण करें ताकि आपकी प्रभु मिलाप की जीवन यात्रा संपूर्ण हो सके।