ईशवर और गुरु को समझने में आम लोग बहु-गिनती में सदा असमर्थ रही है। ईशवर जो सर्व व्यापक शक्ति है, करूणा जिस का सवभाव है, ऐसे ईशवर के पर वैर-विरोध, भेद-भाव और कठोरता देखने को मिलती है। परमातम शक्ति को प्राप्त करने का साधन “शब्द” है। इसकी जानकारी के बगैर आम लोग पाखंडी गुरओं के जाल में फंस रहे है। परमातमा जो परम-प्रकाश है, गुरु जो अनाहद शब्द है।