इस पुस्तक में भार्इ बलविंद्र सिंह झौर ने सिख धर्म के प्रचार प्रसार के क्षेत्र से संबंधित एक ऐसी शख्सीयत के जीवन को लिखित रुप में संगत के समक्ष प्रस्तुति करने की कोशिश की है जो अपने आप में एक संस्था का स्वरुप धारण कर चुकी है ।